नमस्कार,
अप्राइम टाइम में आपका स्वागत है | अप्राइम टाइम इसीलिए क्युकि अभी दोपहर के 2 बज के तीस मिनट हो रहे हैं | लिखने के लिए इसे प्राइम टाइम में भी लिख सकते थे | पर उस समय आपको समय नहीं होता | उस समय टीवी पर तरह तरह के एंकर आते हैं | आप उन्हें देखने में व्यस्त रहते हैं जो सब्जबाग दिखाते हैं | अपनी अपनी विचारधाराओं का प्रचार प्रसार करते हैं | वो एंकर सब कुछ करते हैं पर नहीं करते तो सिर्फ पत्रकारिता जिसके नाम पर वो रोटियां कमाते हैं | माफ़ करना गलत बोल दिया .. सही शब्द हैं बोटियाँ कमाते हैं .. दलाली करते हैं .. 'पत्रकारिता की'
हाल ही में गौरी लंकेश (Gauri Lankesh) की हत्या की गयी | उस बैंगलोर सिटी में जिसे कर्णाटक की राजधानी होने के साथ साथ देश की आईटी राजधानी होने का भी गौरव प्राप्त है | ये वही सिटी है जिसके वीडियोस आप सभी ने १ जनवरी की सुबह भी देखे थे | कानून व्यवस्था को तार तार करते शोहदों के हाथ वहां जश्न मना रही लड़कियों के जिस्म को आतंकित कर रहे थे | कमाल की बात है कि प्राइम टाइम में मुद्दा देश की आईटी राजधानी में बढ़ते अपराध नहीं हैं | बल्कि मुद्दा राईट वर्सेस लेफ्ट है | एंड ऑफ़कोर्स क्रेडिट गोज टू आर प्राइम टाइम 'एंकर्स' |
खैर इस अप्राइम टाइम में हम इन्हीं एंकर्स को बेनकाब करेंगे और साथ में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता वाले उस दोगले प्राणियों पर भी चर्चा करेंगे जो इस समय उफान पर हैं |
सर्वप्रथम शुरुवात सुश्री गौरी लंकेश से करते हैं | हालाँकि ये इतने सम्मान की हक़दार नहीं है पर फिर भी संघी होने के नाते एक स्त्री का सम्मान करना फर्ज है | मैडम अपने को नास्तिक और सेक्युलर कहती थीं | और हिन्दू धर्म को मिथ कहती थी | एक नंबर की बदतमीज और ट्रोल करने वाली औरत थी और साथ में बददिमाग भी | माफ़ कीजियेगा किसी मरे हुए के लिए ऐसे शब्द निकालना उचित नहीं है किन्तु मैं स्पष्टवादी हूँ | मैं वही कह रहा हूँ जो इन महोदया की वाल कह रही है |

मैंने गौरी लंकेश की वाल पर चक्कर लगाया और पाया कि सिवाय विषवमन और गलतबयानी के इन्होने पत्रकारिता के नाम पर कुछ नहीं किया है | केरल में मरने वाले स्वयंसेवकों के लिए इन्होने स्वच्छ केरलं शब्द का प्रयोग किया है | फेक पोस्ट का इन्होने समर्थन किया | ऊपर से अपने वामपंथी साथियों को एक दुसरे को एक्सपोज न करने की हिदायत तक दे डाली | अपनी एक अन्य पोस्ट में इन्होने एक गधे पर मोदी लिखा है | अपनी इन्हीं फेक पोस्ट्स और जहर उगलने वाली भाषा की वजह से ये जेल भी जा चुकी है | एक पोस्ट पर तो जाहिली की सातवी सरहद इन्होने पार कर दी |
उसमे मोहतरमा लिखती हैं कि संघी या तो रेप प्रोडक्ट होते हैं या फिर सेक्स वर्कर के प्रोडक्ट | सेक्स वर्कर को हिंदी में वैश्या और शुद्ध हिंदी में रंडी कहा जाता है | एक संघी भी किसी न किसी महिला की ही संतान होती है | एक महिला होकर(?) किसी महिला के बारे में ऐसा भद्दा लिखना एक वामपंथी को ही सुशिभित कर सकता है | गिरने की भी एक हद होती है | महोदया ने वो सारी हदें पार कर दी थी | जाहिर है ऐसा लिखने वाली महिला मानसिक रूप से स्वस्थ तो हो नहीं सकती | फिर भी हम इनका सम्मान करते हैं | क्युकि हम इनके लेवल पर नहीं गिर सकते |
मैंने गौतम बुद्ध की एक कहानी पढ़ी थी | जिसमे एक व्यक्ति गौतम बुद्ध को गालियां देता है और तथागत निर्विकार रूप से उसे सुनते रहते हैं | अंत में पूछने पर बुद्ध ने कहा कि जिस प्रकार तुम मुझे खाना परोसो और मैं उस खाने को ग्रहण न करूँ तो वो खाना तुम्हारे पास ही रह जाता है | ठीक उसी प्रकार मैं तुम्हारी गालियाँ भी ग्रहण करने से इंकार करता हूँ | ये तुम्हारे अपशब्द तुम्हारी थाती हैं इन्हें सहेज के रखिये | मैं तथागत इन्हें अस्वीकार करता हूँ |
ठीक उसी तरह गौरी लंकेश मैं अनुज अग्रवाल अपनी और अपने संघी भाई बहनों की तरफ से तुम्हारी उन सारी गालीयों को ग्रहण करने से इंकार करता हूँ | तुम्हारे सारे अपशब्द तुम्हारी थाती हैं | इन्हें सहेज के रखिये और अपने परिजनों को सादर गिफ्ट कीजिये | हालाँकि मुझे इसका भी दुःख हुआ | अपनी माँ के लिए इस तरह के शब्द आपको नहीं निकालने चाहिए थे |
अब आप मृत हैं तो इन सब बातों का क्या फायदा | पर सच तो सामने आना ही चाहिए न | खैर भरे मन से आपको श्रद्धांजलि .. ईश्वर आपको अपनी शरण में लें और थोड़ी सी तमीज़ भी सिखाएं | ताकि अगले जन्म में आप इन्सान बन सकें |
-अनुज अग्रवाल
No comments:
Post a Comment