Thursday, 23 February 2017

एक जंग बौद्धिक आतंकियों के खिलाफ

     अभी हाल ही में रामजस कॉलेज में AISA के बौद्धिक आतंकवादियों द्वारा देश में फिर से अराजकता उत्पन्न करने का कुत्सित प्रयास किया गया | एक सेमिनार थी जिसमे देश द्रोह के आरोपियों को बोलना था | विषय था "कल्चर ऑफ़ प्रोटेस्ट - अ सेमिनार एक्सप्लोरिंग रेप्रजेंटेशन ऑफ़ डिसेंट" |
                               
     विरोध की संस्कृति कैसी होनी चाहिए इस पर वो लोग बोलना चाहते थे जिन्होंने मेरे भारतवर्ष के विरोध में इसके टुकड़े-टुकड़े करने की कसमे खायीं | भारत के अभिन्न अंग कश्मीर को भारत से आज़ाद करने के हिंसक आन्दोलन के समर्थक स्टेज पर बोलेंगे कि हमें विरोध कैसे करना चाहिए ? आयरनी ये है कि जो लोग खूनी माओवाद के धुर समर्थक हैं, जिनका संगठन JNU तक में बैन है, जिनके आकाओं के कहा कि "सत्ता बन्दूक की नालियों से गुजरती है " "वो कामरेड हो ही नहीं सकता जिसके हाथ खून से न रंगे हों |" ऐसे नरपिशाच लोग DU के छात्रो को सिखायेंगे कि विरोध कैसे करना चाहिए ?
     कहते हैं बच्चे अनगढ़ मिट्टी और शिक्षक कुम्हार होता है | कुम्हार अपनी चाक पर मिट्टी को घुमा घुमा कर घड़ा बना सकता है | पर वही मिट्टी जो एक सुन्दर सुराही बन सकती थी जरा सी असावधानी होने कूड़े के ढेर का हिस्सा हो जाती है | यहाँ इस संस्थानों में ऐसे प्रोफेसर्स बहुतायत में हैं जो deliberately स्टूडेंट्स का ब्रेन वाश कर उन्हें कूड़े के ढेर का हिस्सा बना रहे हैं | JNU में किस तरह आतंकवादियों से सॉफ्ट कॉर्नर रखने वाले स्टूडेंट्स और प्रोफेसर्स हैं ये हम सभी जानते हैं | भारत की श्रमजीवी जनता के मेहनत के पैसे पर पलने वाले ये पैरासाइट्स भारत के खिलाफ, भारत के बेटों में ही जहर भरते हैं |
         
     अब तक इनका दायरा सीमित था | ये सब देश की चुनिन्दा यूनिवर्सिटीज में होता था | जैसे JNU AMU आदि आदि | वहां से जम्मू और जाधवपुर यूनिवर्सिटी पहुंचे | अब इनका निशाना राष्ट्रवादियों का गढ़ दिल्ली यूनिवर्सिटी है | अब ये विषाणु हर जगह पांव पसारने की कोशिश कर रहे हैं | फिर इनके समर्थन में इनका नेक्सस आ जाता है | हाँ वही दलाल पत्रकार और वोट्स के भूखे नेता | ये वो वर्ग है जिसे इस देश के प्रति कभी श्रद्धा नहीं रही है | आप गौर से देख लीजिये | इनके समर्थन में वो सब लोग होंगे जो कश्मीर में आतंकवादियो के समर्थक हैं | जिनकी नजर में सेना बलात्कारी है | जिनकी नजर में नक्सल आतंकी मासूम हैं | जो NGO के खेल में सक्रिय हैं | जिनके लिए हिन्दुस्थान अब रहने लायक नहीं बचा है | और सबसे महत्वपूर्ण जिनकी नजर में औरंगजेब मसीहा है |
     जब ऐसे लोगों का विरोध होता है | तब यही लोग पहले उकसाने वाले नारे लगाते हैं | थूकते हैं गालियाँ देते हैं | ढोल की थाप पर कोरस गातें हैं नीम का पत्ता कडवा है और फलां आदमी @#वा है | पलट के कोई बोल दें अबे तुम साले अपने देश को गरियाते हो | तुम तो सोनागाछी के कोठों की पैदाइश हो | फिर ये लोग हमला बोल देते हैं | मारपीट करते हैं | पलट के कोई इनके गाल गरम कर दे तो ये लोग विक्टिम कार्ड खेलना शुरू कर देते हैं | ये ऐसे दर्शातें हैं जैसे इस देश में ये अति शोषित लोग हैं | इनका काम सरल करते हैं मीडिया में बैठे इनके दलाल | जिनकी रिपोर्टिंग और शब्द ऐसे होते हैं जो देश की जनता में इनके लिए सहानुभूति उत्पन्न करते हैं |
     मैं हमेशा से कहता हूँ | वैचारिक लड़ाई में आपका पक्ष आपके शब्द रखते हैं | आप तटस्थ होकर भी तटस्थ नहीं होते | वो आपके शब्द होते हैं जो आपको तटस्थ रखते हुए आपके अन्दर के पक्ष को उजागर करते हैं | इसे समझने के लिए एक उदाहरण लेते हैं :- आप कभी भी देख लीजिये | पत्रकार विशेष हमेशा किसी भी विवाद की स्तिथि में रिपोर्टिंग करते समय AISA के स्टूडेंट्स और ABVP के कार्यकर्त्ता या सदस्य बोलेंगे | वो कभी ABVP के छात्र शब्द का प्रयोग नहीं करेंगे | जैसे कि AISA जैसे संगठनो के लिए ये करते हैं | कुछ पत्रकार जिनके घरवाले ‘लड़कियों की दलाली’ में संलग्न हैं और जो ‘क्रन्तिकारी चैनल’ से हैं वो तो ABVP के गुंडे शब्द का प्रयोग तक कर देते हैं |
                                      
     ऐसे लोग हमेशा वामपंथी संगठनों की मारपीट या देशद्रोह को बढ़ी चालाकी से छिपाते हैं | उदाहरण के लिए आपमें से कितने लोग जानते हैं कि दंतेवाडा में 76 जवानो की नृशंस हत्या पर JNU के आतंकियों ने जश्न मनाया था ? कितने लोग जानते हैं कि JNU में महिषासुर के नाम पर माँ दुर्गा का अपमान किया गया था ? आपमें से कितने लोग जानते हैं कि 29 अप्रैल 2000 को JNU में 2 आर्मी ऑफिसर्स को मर्सीलेस्ली पीटा गया था क्युकि उन्होंने वहां मुशायरे में एंटी इंडिया स्लोगन्स का विरोध किया | अब आप खुद से पूछिए कि क्या ये न्यूज़ आपको टीवी काली करने वालों ने या देश को इंटोलरेंट बताने वालों ने प्राइम टाइम पर दिखाई थी क्या ? पूछिये इनसे कि तब इनके कैमरे कहाँ थे ? यही लोग हैं जो एक पक्ष के प्रोपेगेंडा को प्रमोट करते हैं | बिना पक्ष लिए अपना पक्ष रखना इसी को कहते हैं | और इस नेक्सस का सच सामने लाना बहुत जरूरी है |
     आइये उन सभी को जबाब दें जो भरपूर दें जो हमारे देश के खिलाफ हैं | जिनका सपना भारत की बर्बादी है | आइये जंग छेड़े उन बौद्धिक आतंकवादियों के खिलाफ जो हमारे देश के टुकड़े टुकड़े करना चाहते हैं | अब समय है हम पलट कर जबाब दें | कोई आपको ABVP का गुंडा कहे आप जबाब में AISA का आतंकवादी कहें | वो दिन गए जब आप लोगों की प्रोपेगेंडा पॉलिटिक्स हम चुपचाप सह लेते थे | अब भारत की तरुणाई जाग चुकी है | ये अब तक सहा है अब नहीं सहेंगे | इस गुंडागर्दी का हम हर संभव विरोध करेंगे | आज भगवान आशुतोष का दिन है | आइये इस महाशिवरात्रि पर इस विषवेल के समूल विनाश की शपथ लें | लगायें हर हर महादेव का नारा और संहार कर दें भारत माँ आंचल को तार – तार करने का सपना देखने वालों का |
जय हिन्द जय भारत
हर हर महादेव

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