नेता जी - ऐ सुनो ! 28 तारीख को भारत बंद का आवाहन है । दुकान पर काली मिर्च मत बेचना । खेत में प्याज मत उगाना उस दिन ।
जनता - क्यों करना है भाई ? किस ख़ुशी में भारत बंद है ?
जनता - क्यों करना है भाई ? किस ख़ुशी में भारत बंद है ?
नेता जी - सरकार ने 500 हजार का नोट बंद कर दिया । वो भी बिना हमें बताये । पीएम की तानाशाही नहीं चलने देंगे ।
जनता - वो तो ठीक है पर तुमको क्या दिक्कत है ? तुम्हारी तशरीफ़ में थोड़े न कील ठुकी है ।
नेता जी - देखते नहीं । देश की जनता को कितना प्रॉब्लम हो रहा है ।
जनता - तकलीफ हमें है तो तुम क्यों फ़ोकट के पॉपकॉर्न बन उछाल ले रहे हो ? तुम्हे क्या ? तुम तो फसक्लास गाडी में बैठकर AC के मजे ले रहे हो । तुम्हे क्या दिक्कत ?
जनता - तकलीफ हमें है तो तुम क्यों फ़ोकट के पॉपकॉर्न बन उछाल ले रहे हो ? तुम्हे क्या ? तुम तो फसक्लास गाडी में बैठकर AC के मजे ले रहे हो । तुम्हे क्या दिक्कत ?
नेता जी - शादी भी नहीं हो रही ।
जनता - होगी भी नहीं । करम ही ऐसे हैं तुम्हारे ।
जनता - होगी भी नहीं । करम ही ऐसे हैं तुम्हारे ।
नेता जी - नामुराद हम जनता के हक़ की लड़ाई लड़ रहे हैं ।
जनता - पर पैसा तो तुम्हारा भी काई हुआ है । हमारे लिए काहे लड़ रहे हो भाई ।
जनता - पर पैसा तो तुम्हारा भी काई हुआ है । हमारे लिए काहे लड़ रहे हो भाई ।
नेता जी - हमारे पूर्वजों ने भी तुम्हारी लड़ाई लड़ी थी । दादी भी बोली थीं "गरीबी हटाओ" । अब हम तुम्हारी गरीबी हटाएंगे |
जनता - हटी क्या गरीबी ?
जनता - हटी क्या गरीबी ?
नेता जी - हट जायेगी । हमने एक नया प्लान बनाया है ।
जनता - बाबू बुरा मत मानना पर तुमसे न हो पायेगा । तुम रहन दो । एक काम करो ।
जनता - बाबू बुरा मत मानना पर तुमसे न हो पायेगा । तुम रहन दो । एक काम करो ।
नेता - क्या ?
जनता - ये लो पामरा । पहले हमारे खेत की घास हटा दो ।
जनता - ये लो पामरा । पहले हमारे खेत की घास हटा दो ।
नेता - व्हाट इज पामरा , व्हाट इज घास ? एंड आई एम् नॉट हियर टू रिमूव योर घास ।
जनता - नेताजी आपको पामरा घास खुरपी का पता नहीं । आपको गन्ने और गुड़ का अंतर पता नहीं । आपको नोन तेल धनिया का पता नहीं और चले हो आप हमारी लड़ाई लड़ने । क्यू मजाक करते हो साहब । इन 60-70 सालों में यही तो करते आ रहे हो आप और मूर्ख बनते आ रहे हैं हम । आपके दादाजी गाँव गरीब चरखे की बात किया करते थे । आज़ादी के बाद उन्हीं के रंग कितने बदल गए । जब देश के पास अनाज नहीं था खाने को तब उनकी सिगरेट की डिलीवरी हवाई जहाज से हुआ करती थी ।
आप ही की दादीजी कहा करती थीं न । मुझे पीएम बनाओ और गरीबी हटाओ । बना दिया पीएम । हटी हमारी गरीबी ?किसान थे हम । जमीन थी हमारी । सोने जैसा गेंहू उगाते थे, धान की फसल लहलहाती थी हमारे खेत में । 1951 में 71% किसान था देश में 2011 में 45% रह गए । कहाँ गए 26% किसान ? 1991 में हमारे पास 185 मिलियन हेक्टेयर खेती लायक जमीं थी 2011 में 182 मि.हे. जमीं बची । कहाँ गयी हमारी जमीं ? धरती माँ खा गयी या आसमान ने निगल ली ?
1951 में 82% लोग गांव में रहते थे 2011 में 68% रह गए । कहाँ गया गाँव का गरीब किसान ? बताइये ? किसान गया शहर आपके घर में झाड़ू बुहारने । वो गया शहर अपने गमछे से आपकी गाड़िया पोछने । वो गया शहर बाबू साहब को दफ्तर में पानी पिलाने । वो गया शहर साहब का कुत्ता टहलाने । अन्नदाता कहते थे लोग हमें और आपने हमें अपने घर का नौकर बना दिया । आपने हमसे हमारी जमीन छीन ली साहब । हमें खेतिहर मजदूर बना दिया ।
व्यापारी थे हम । खुद का कुटीर उद्योग था हमारा । गाँव में अरोमा की खुशबू का साबुन बनाते थे और देश भर बेचते थे । सूत की मखमल बुनते थे यहाँ और इंग्लैंड में बिकता था । क्या किया आपने । लगा लगा के हिटलरी कर उद्योग तबाह कर दिए आपने । छोटे छोटे व्यापारियों से मुँह के निवाले छीन लिए आपने ।
दिया क्या आपने हमें । चुनावों में झूठे वादे । हकीकत की टूटी फूटी सड़के । लाखों करोड़ के घोटाले । दिल्ली मुम्बई का स्लम उस पर भी समय समय पर बुलडोजर चलवा देते हो आप । आज जब नोटबंदी से आपका काला पैसा पानी हो गया तो गरीब जनता की याद आ गयी साहब को । आज आप गरीब के हक की लड़ाई की बातें करते हो । शर्म नहीं आती आपको । गरीबी हटाने का वादा था आपका साहब । पर आपने तो गरीब ही हटा दिए । आप पर किस विधि विश्वास करें हम ?
हमारी चिंता करना छोड़ दीजिए । हमने अपना प्रधान सेवक चुन लिया है । भरोसा है हमें उस पर । पांच साल ऊँगली पकड़ चलेंगे हम । जरूरत पड़ी तो कंधे से कन्धा मिला के चलेंगे हम । जैसे कि अभी चल रहे हैं ।
काहे का भारत बंद ? क्यों हो भारत बंद ? ये अब ड्योढ़ी दुगुनी मेहनत करेगा । सतत आगे बढ़ेगा । भारत अब बंद नहीं होगा बल्कि अपने सुनहरे भविष्य के नए द्वार खोलेगा । अब कोई खानदानी, कोई एनार्की या कोई चिटफंड वाली घोटालेबाज़ हमें नहीं रोक सकती । हम जानते हैं ये फैसला देशहित में है । और हम सब एक-जुट होकर इसका समर्थन करेंगे । आपको साथ देना है तो कदम बढाइये हाथ मिलाइये वरना टांग अड़ाने वालों की टांगे कुचल कर हम आगे बढ़ेंगे ।
अब फटाफट अपनी फॉर्च्यूनर में बैठकर दिल्ली निकल जाइये साहब । इन गांवों की पगडंडियों में चलेंगे तो कमर लचक जायेगी आपकी । और जाकर कह देना अपने आकाओं से कि भरतवंशियों ने साँपो को दूध पिलाना अब बंद कर दिया है ।